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मेरे रूह के जर्रे जर्रे में बसा है *परिवार* मेरा,
गर चले ये संग- संग तो हर रस्ता है आसान मेरा।
काली लंबी रात हो या घनघोर घटा बरसात हो,
इनके होने का एहसास हीं है खिलखिलाता भोर मेरा।
इनकी हसीं से हस्ते हैं ये मेरे होंठ सदा
गर हो मायूसी तो दिल रोये रजा - रजा मेरा।
हो गर पग - पग साथ तो
ये जीवन है आबाद मेरा।
✍️ अंशु प्रिया
”