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मेरा एक...

मेरा एक अतीत बुरा स्वपन सा है उसमे कोई धुआं उठा सा हैं ए मुसाफिर देख न पलट के इस चिलम ए वदन में आग लगा सा है

By राजेश "बनारसी बाबू"
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