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मेरा दिल...

मेरा दिल में ये कैसी अंदेशा छाई है, आज ये कैसी मौत की घड़ी आई है, रक्षाबंधन के इस पवित्र त्यौहार पे इस बार एक बहन के सामने एक भाई की अर्थी आई है

By राजेश "बनारसी बाबू"
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