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, में शब्द...

, में शब्द हूं। मैने ही खुद को पिरोकर कविता को रचा है। हर भाव को रचना के माध्यम से, मैने ही तुम्हारे सम्मुख रखा है। जो लफ्ज़ मेरी जुबां न कह पाई कभी। उन्हीं सब भावों को मेरी कविता ने तुम तक पहुंचा के रखा है नूतन शर्मा

By Dr nutan Sharma "naval"
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