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मैंने तेरे बाद खुदको, किसके साथ जोड़कर नहीं देखा।
मैंने तेरी राह तो देखी, पर तूने मुझे मुड़कर नहीं देखा।।
तन्हाई की सर्दी में कांपते रहे,मगर किसके चाहत का चादर ओढ़कर नहीं देखा।
माना की दरारें बहुत थी हमारी तस्वीर में, पर में मैंने उसे कभी तोड़कर नहीं देखा।।
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