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मैं चला,...

मैं चला, राहें अनेक मिली इक राह प्यार की ओर चली तितलियां रंग बिरंगी दिखी और दिल बाग़-बाग़ हो चली । झुमते-लहराते प्यार के साये में चलता चलता एक किनारे पहुँचा इक दायें उड़ चली, दूजी बायें क्यों? दोराहे पर दिल आ पहुँचा ।

By Raja S Aaditya Gupta
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