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मैं अपनी...

मैं अपनी औक़ात से ज़्यादा नहीं करता निभा ना सकूँ वो कभी वादा नहीं करता तमन्ना तों हैं बुलंदियो पर जाने की पर, क्षत्रिय हूँ साहब, किसी अपने को गिराकर मंज़िल पाने का इरादा नहीं रखता।

By Natwar Singh Dewal Official
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