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मात-पिता सा...

मात-पिता सा पृथ्वी का भी है कर्ज, इस संवारकर निभाएं अपना फर्ज। नियोजित ढंग से इसका करें श्रंगार, प्रकृति अनुरूप सदा होवे व्यवहार। # गायत्री सिंह #

By Gayatri Singh
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