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मानसिकत...
मानसिकताओं की...
मानसिकताओं...
“
मानसिकताओं की परिधि को पार करे जो,
एक ऐसी हवा चाहिए,
इलाज करे जो क्षीण सोच का,
एक ऐसी दवा चाहिए!
बदलते वक़्त के दौर में,
बदलाव लाना ही बदला लेना है,
जो पेड़ हवा के रुख़ के साथ नहीं झुकता...
अक्सर हुए टूटते हुए देखा है मैंने!
परिवर्तन ही वो हवा है, यही वो दवा है,
माना हर बदलाव विकास नहीं,
पर विकास की एकमात्र यही दुआ है!
©सिम्पी अग्रवाल
”
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