“
लोग बस देखते है कमियां मेरी , मुझे समझ सके ऐसा कोई मेरे पास नहीं ,
जिंदगी से फिर भी मुझे कोई शिकायत नहीं , फिर भी एक आस है की कोई हो ऐसा जो समझ सके ये उदासियां मेरी ,
लोग बस देखते है कमियां मेरी ,
मुझे समझ सके ऐसा कोई मेरे आसपास नहीं .......।
राहगीर की कलम से......
(ब्रिजेश प्रजापति)...
”