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कविताएं कभी किसी कवि को अकेला नहीं होने देती । कवि को हमेशा सामूहिक होने का अहसास दिलाती रहती है । कविताएं जुड़ जाती है एक कवि के अंतर्मन से उसके वजूद से । जैसे जैसे एक कवि कविताएं गढ़ता है वैसे वैसे जुड़ते है उसके विचार उसकी आत्मा उसके लफ्ज़ उन कविताओं , जो उन्हे बनाता है खास ।
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