“
कुछ हंस के यूं ही टाल दिया करो ,
कुछ बिखरता सा संभाल लिया करो ।
कितने ही रिश्ते टूट जाते हैं गुरूर में ,
उन गिरहों को ढूंढ कर निकाल दिया करो ।
आये हो जहान में चंद लम्हो के लिए ।
उन लम्हों को जीने का ख्याल किया करो,
कुछ हंस के यूं ही टाल दिया करो ।।
”