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क्षीण...
क्षीण सोच न पाये...
क्षीण सोच न...
“
क्षीण सोच न पाये नोच,
बंधन न लें मन को दबोच,
सामजिक कुरीतियों का नाश हो,
खुले गगन में हर साँस हो,
न बने किसी चीज़ के आदी,
असल में तब होगी आज़ादी!
© Simpy Aggarwal
”
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