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कृष्ण...

कृष्ण सखा, बन सारथी पार्थ के,  गीता उन्हे सुनाते | असंमजस, में फँसे अर्जुन को,  दर्शन विराट कराते || छोड़ मोह, अपनो का कौन्तेय, गांडीव फिर उठाते | देख कृष्ण, युध्द धर्म अधर्म का,  गाल में मुस्कुराते ||

By Govardhan Bisen "Gokul"
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