“
कॉरोना की हसरत
हसरत थी कॉरोना की
सारी कायनात को अपने आगोश में लेने की
बचे हैं वह लोग जिनमें हुनर है
उससे दूर रहने का ।
ढूंढ रहा है ये कातिल उनको,
जो उससे बचे हुए हैं अब तक ।
ऐसे अफलातून माहौल में
महफूज़ हैं वह बंदे
जो बंद हैं अपने घरों में
क्यो की ये काफिर ऐसे घरों में
घुसने की गुस्ताखी नहीं करता ।
”