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कंधे पर तख्ता लटका हाथ में कलम दवात लिए,
श्वेत लेखन में रंग मोती के घोल मिट्टी ने भर दिए ;
कोरे कागज को सजा के शब्द स्याही से,
कलम थमाकर ये जीवन उजागर कर दिए।
वो प्रभु हैं,वो दयालु हैं,वो मित्र हैं,
वे इस संपूर्ण जीवन का चलचित्र हैं;
आओ आज उन कमल पदों को नमन करते हैं,
आज के दिन अपने गुरु का स्मरण करते हैं।
अनुराधा नेगी
५ सितंबर २०२२।
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