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कल रात...
कल रात यहाँ मेज़...
कल रात यहाँ...
“
कल रात यहाँ मेज़ सजा था ,
आज वीरानी छायी है।
मेहमान भर पेट खा कर विदा हो गये,
पर, खाली पेट घूम रहे लोगों के ,
खाने को अब केवल झूठे पत्तल रह गये।
”
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