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किसी की नज़र...

किसी की नज़र में रहना और खामोश रहना कितने खामोशी भरे लम्हात उडेल जाता है, और खामोश रहना पड़ता है हर उस जगह जहां बोलना जुरुरी हो जाता है। -कुमार किशन

By -Kumar kishan
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