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कि दिख रहे...

कि दिख रहे है हमे दो चार होली में बिन पिए बहकने लगे उन्हे देख हम लाल चोली में सजनी को हमे रंगना आज हसी ठिठोली में अंग अंग तड़प उठा आज प्यार की आंख मिचौली में आज उन्हें अपने रंग में रंगना है खुशियों की रंगोली में

By राजेश "बनारसी बाबू"
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