“
कि बहुत सालों बाद, ये ख़ुमार मैंने दिल में बसाया है।
की मैं भी किसी को इस कदर चाह सकती हूँ।
की मैं भी किसी को अपना बना सकती हूँ। आज बहुत सालों बाद ये ख़ुमार
मेरे चेहरे पे नही दिख रहा, क्योंकि इस बार मैंने इन्हें अपने दिल में बसाया है।
बस! ऐसा मानों की तुम्हें गले लगाया है। हाँ! गले लगाया है।
शालवी सिंह
@iwrit_ewhatyouthink
”