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हर शब्द में अल्फ़ाज़ तो होते हैं,
पर कभी- कभी हर अल्फ़ाज़, हम तक वक़्त रहते नही पहुँच पाते या हम ही उसे नज़र अंदाज़ कर बैठते हैं? हाँ या न... कुछ नही जानते।
लेकिन परिणाम स्वरूप भुगतान जरूर भुगतते हैं।
हम माँ- बाप के लाडले बच्चे, उनको बहुत प्यारे होते हैं। लेकिन ये बात हम क्यों नही समझते? और अगर नही समझते तो इसके परिणाम स्वरूप कुछ ऐसा झेलते, जो हमें सुधरने का दुबारा कभी मौका नही मिलता।
Shalvi S
”