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ख्वाबों की दुनिया में जब दूर तलक जाता हूॅं।
शब्दों के सागर से तब गीत नया लिख पाता हूॅं।।
शेरो शायरी मिसरे करता दूर सैर पर निकल गया,
रस छंदों से सराबोर होकर प्रीत लिख पाता हूॅं।।
अमृत में विष घुला तो विष में अमृत ढूंढता हूॅं।
पिया प्रेम की हाला उसी मीरा को लिख पाता हूॅं।।
”