“
खूबसूरती नश्वर है किन्तु..,
प्रेम..!
प्रेम नश्वर नहीं, प्रेम युग युगांतर तक अमर है, प्रेम गेह का नहीं रूह का होता है, आत्मा अनश्वर है!
प्रेम नश्वर कैसे हो सकता है
प्रेम नश्वर होता तो कौन याद रखता कृष्ण राधा के प्रेम को,
कौन याद रखता हीर राँझा को, और..
कौन याद करता वैदेह नंदिनी को..?
जो एक पल में बदल जाए वो वो नाशवान होता है और खूबसूरती पल पल बदलती हो, फिर चाहे वो प्रकृति की ही हो..!
Aishani
”