“
खुशी का अहसास ....लघु कथा
सक्सेना साहब की गाड़ी एक छोटी सी चाय की
दुकान के सामने रुकी, दुकान से लगभग दस साल
की लड़की आई, बोली अंकल चाय बनाऊं, मैं अच्छी चाय बनाती हूँ। हाँ तीन चाय बनाओ, गाड़ी से सक्सेना
साहब उनकी पत्नी ओर एक लगभग दस वर्ष की लड़की
उतर कर दुकान के सामने बिछी चारपाई पर बैठ गए ।
सक्सेना साहब बड़े ध्यान से लड़की को देख रहे थे, बोले
ये दुकान तुम्हारी है, नही अंकल
”