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कभी शर्माती...

कभी शर्माती हे कभी इठलाती है मंद ही मंद हमें देख मुस्कुराती है नेत्रों से ही प्यार बया कर जाती है इज़हार करने पर हमें अनजान बताती है ये कैसी मोहब्बत है आँखों मे प्यार ज़ुबा से तिरस्कार दिखाती है

By Hitesh pal
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