I am Writer and Poet
Share with friendsनहाने को पुछा न पानी गरम हड्डियों को गंगा नहलाते हे वो माता- पिता को आदर न दिया और पंडित को शिश झुकाते हे वो माता-पिता को न पुछा भोजन कभी और हर साल बरसी मनाते हे वो जीते जी हँसते हुए दर्द दिया इतना मरने के बाद रो कर शोक मनाते हे वो
चार दिन की हे जिदगी जीने की सिर्फ़ वजह चाहिए मिला हे दुख नसीब मे तो क्या हर लमहा ख़ुशी मे जाना चाहिए दुख मे भी जो सुख लुत्फ़ उठाये वही जीवन का महत्व समझ पाये
सच्चा प्रेम करने वाले को ही प्रेम की भीख माँगनी पड़ जाती है और जो नही करता प्रेम की इज़्ज़त वहाँ प्रेम की क़तार लग जाती है
अब तो जीवन मे तकलीफ बहुत है पराये तो छोड़ो अपने ही दुश्मन बहुत है पहना हे हर कोई सादगी का चौला अंदर से मन के मलिन बहुत है जाये तो जाये कहा हर तरफ़ नफ़रत बहुत है हर तरफ़ नफ़रत बहुत है
दिवाने तो बहुत हे हमसा कोई हो तो बताओ तन से मोहब्बत करने वाले बहुत मिल जायेंगे रूह से मोहब्बत करने वाला हे कोई तो बताओ
क्यूँ रोता हे की कुछ नही मेरे पास अपने अदर झाँक कर देख सब कुछ हे तेरे पास बस साहस की लो जलानी है फिर देख मंजिल ख़ुद तेरे क़दम चूम जानी है