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कभी-कभी...

कभी-कभी लगता है कि ज़िंदगी की दौड़ हम ट्रेड्मिल पर दौड़ रहे हैं।कहीं पहुँच तो नही पा रहे, लेकिन सपनो और आकांक्षाओ का वज़न ज़रूर घट रहा है। -तृप्ति वर्मा “अंतस”

By Tripti Verma
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