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कभी बिछाते...

कभी बिछाते थे नजरें, आज नज़र बचाके निकल जाते हैं, तंगदस्ती की हवाओं में मौसम, ऐसे भी बदल जाते हैं। - कुमार अशोक

By ASHOK KUMAR
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