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कब बाँध पाया...
कब बाँध पाया...
कब बाँध...
“
कब बाँध पाया सरहदों में (मुहब्बत) ख़ुशबू?
इंसान सिर्फ़ (जिस्मों) फूलों को बाँधने के क़ाबिल है।
#दोस्ती #ज़िंदाबाद
प्रियेश पाल "अज्ञात"
”
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