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जो तुम्हारे...

जो तुम्हारे लिए सही,वह मेरे लिए भी सही, जो मेरे लिए गलत,वह तुम्हारे लिए भी गलत, अपनी झूठी मर्यादा का दायरा अगर विस्तृत कर सकते हो , अपनी छोटी सोच के पिंजरे से बाहर निकल सकते हो, तब ही समानता की बात करने के अधिकारी बन सकते हो, नहीं तो तुम्हारे सारे पाखण्ड तुम्हें मुबारक ।

By Priyanka Gupta
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