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Share with friendsख़ुशी किसी व्यक्ति ,वस्तु ,परिस्थिति पर निर्भर नहीं करती ,बल्कि स्वयं व्यक्ति के मन की स्थिति पर निर्भर है ।
न कोई श्रेष्ठ ,न कोई निम्न , हम सभी हैं अद्वितीय , सभी है सम्यक सम्मान के पात्र , किसी का भी न हो तिरस्कार।
ज्ञान के लिए सरस्वती की पूजा करते हैं, लेकिन सरस्वती को ही ज्ञान से वंचित करते हैं,आश्चर्यजनक है लेकिन यही सत्य है.
मनोबल हो तो आकाश जैसा हो , जो सूर्यास्त में भी अवसर ढूँढ लेता है , अवसर स्वयं को चाँद -सितारों से सजाने का।