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जो स्वयं...

जो स्वयं दोषी होकर भी निर्दोष आत्मीय जनों को कुपित करता हैं, वह सर्पयुक्त घर में रहने वाले की भाँति रात में सुख से सो नही सकता | प्रभात

By प्रभात मिश्र
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