Prabhatt mishra
Literary Colonel
AUTHOR OF THE YEAR 2021 - NOMINEE

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आत्मवत् सर्व भूतेषु यः पश्यति सः पण्डिता ( जो सभी को अपने समान समझता है वही ज्ञानी हैं ) एवम् आत्मन्ः प्रतिकूलानि परेषाम् न समाचरेत् ( जो स्वयं के लिए स्वीकार्य न हो वह दूसरों के साथ न करे ) ये दो मेरे आदर्श वाक्य हैं | मेरे बारे में सबसे सटीक पंक्तियाँ जो मुझे लगती हैं वो यह हैं - मै आईना हूँ... Read more

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जीवन का सार तरलता में हैं, रुक्षता एवम् अनम्यता जीवन को कलिष्ट एवम् कलुषित कर देती हैं |

जीवन का सार तरलता में हैं, रुक्षता एवम् अनम्यता जीवन को कलिष्ट एवम् कलुषित कर देती हैं |

आर्थिक स्वतंत्रता के अभाव में वैचारिक स्वतंत्रता गौड़ हो जाती हैं

नेता और परेता लड़ते लड़ते चमचे भक्त जाति धरम के चक्कर में भारत हुआ विभक्त जोगिरा सारा रा रा रा

नेता और परेता लड़ते लड़ते चमचे भक्त जाति धरम के चक्कर में भारत हुआ विभक्त जोगिरा सारा रा रा रा

चंदे के बल पर चुनाव में ठोंक रहे थे ताल खाते सारे जब्त हो गये नही मिल रहा माल जोगिरा सारा रा रा रा

राजनीति की गंगा बह रही कौवे हो रहे हंस अयोध्या के नाम पे लड़ते देखो रावण कंस जोगिरा सारा रा रा रा

दुनिया भर में पीट रहे थे ईमानदारी का ढोल ई डी की जब जाँच हो गयी खुल गयी सारी पोल जोगिरा सारा रा रा

दुनिया भर में पीट रहे थे ईमानदारी का ढोल ई डी की जब जाँच हो गयी खुल गयी सारी पोल जोगिरा सारा रा रा


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