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जो मुझे नहीं आता हैं,वो मुझे नहीं आता हैं और मैं स्वीकारती हुँ।
इसका मतलब यह नहीं हैं की मैं सीखना नहीं चाहती हुँ।
उसका उत्तर नहीं पता मुझे इसलिए नहीं आता हैं अगर मज़ाक बनाने के जगह यह समझा दे तो मैं सिख जाउंगी।
किसी का मज़ाक उड़ाना नहीं चाहिए बल्कि जो उनको नहीं आता हैं उन्हें सीखाना चाहिए।
भूलो मत, एक दिन आप को भी इसका उत्तर पता नहीं था, आपने सीखा फिर दुसरों को सिखाया।
-Ashfia parvin
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