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जो मनचाहा सब...
जो मनचाहा सब...
जो मनचाहा...
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जो मनचाहा सब मिलता होता ... तो सबकी जिंदगी मजे में होती ...तन्हा दुःखी कोई ना होता... और भगवान को याद भी कोई क्यों करता????
लेखिका-प्रतिभा द्विवेदी "मुस्कान"©
सागर मध्यप्रदेश ( 16 दिसंबर 2019 )
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