“
जो लगाते है वृक्ष वो उनके फल कहां खा पाते है,
पर वो नई पीढ़ी को अपनी एक धरोहर दे जाते है।
न जाने कितने मुसाफिरों के सर पर छाया
और न जाने कितने पक्षियों को रहने का सहारा दे जाते हैं।
और जो मरने के बाद दाहसंस्कार में
जला दिया जाता हैं एक वृक्ष,
जाते जाते वो अपने ऊपर से ये कर्ज भी उतार जाता है।
”