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जो अपना नहीं...
जो अपना नहीं...
जो अपना...
“
जो अपना नहीं है
उसे क्यों आजमाएं हम
खुदगर्जी के झूठे ख्याब
क्यों आंखों में सजाएं हम
ये दुनियाँ का तिलिस्म है
यहां दिल को किस तरह
हर रोज भरमाएँ हम।
”
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