STORYMIRROR

जन्नत नुमा...

जन्नत नुमा ज़िंदगी दोजख सी हो गई गम में डूबी रोज़ इक सी हो गई चाह तो बस चार दिन की चांदनी की थी पर न सांसे बची और उम्मीद भी खो गई।

By Shubham Utkarsh
 733


More hindi quote from Shubham Utkarsh
102 Likes   0 Comments