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जन्नत नुमा...
जन्नत नुमा...
जन्नत नुमा...
“
जन्नत नुमा ज़िंदगी दोजख सी हो गई
गम में डूबी रोज़ इक सी हो गई
चाह तो बस चार दिन की चांदनी की थी
पर न सांसे बची और उम्मीद भी खो गई।
”
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