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" जिस पुस्तक से यह उद्देश्य सिद्ध नहीं होता, जिससे मनुष्य का अज्ञान , कुसंस्कार और अविवेक दूर नहीं होता, जिससे मनुष्य शोषण और अत्याचार के विरुद्ध सिर उठाकर खड़ा नहीं हो जाता ,जिससे वह छीना-झपटी , स्वार्थपरता और हिंसा के दलदल से ऊपर नहीं पाता ; वह पुस्तक किसी काम की नहीं है"
~ संस्कृति
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