“
जिंदगी देकर जीवन का अर्थ सिखलाती हो,अपनी नींद खो कर हमें सुलाती हो, खुद के सपने छोड़कर हमारे सपनों की उड़ान बनती हो,हमें डांट कर खुद रोती हो,सबका पेट भर कर खुद भूखी सो जाती हो,खूब थक कर भी मुस्कुराती हो,
ममता की मूरत हो,ईश्वर की सूरत हो
जिससे मिलती हमें राहत है,जिसके होने से घर जन्नत है,ख्वाहिशों का खजाना हो,जिसके कर्ज़ को अनमोल माना है,बस इस प्यार का फर्ज निभाना है,मा को मैंने मा माना हैं
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