“
जीना नामुमकिन है फिर भी जी रहे हैं,
हम तेरे गम के सहारे ।
आंसू की एक -एक बूंद में तेरी यादें हैं,
टूट चुके हैं हम बिन तेरे सहारे ।।
है जालिम जगत के लोग,
कर गए खाक इश्क हमारे ।
छोड़ गए हमे महबूब ,
गिनने के लिए गम के तारे ।।
क्या बता सकती हैं कब तक जीना है?
यूं तेरे गम के सहारे ।
जमाने की यह कटीली जंजीर में ही बितानी पड़ेगी,
शायद जिंदगी तेरे गम के सहारे ।।
”