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जब-जब...

जब-जब अंधेरे डराते माँ तुम आशा का दीप जलातीं, कैसा भी बीता वक़्त मेरा माँ तुम हर पग पर मेरा साथ निभातीं। प्रद्युम्न अरोठिया

By PRADYUMNA AROTHIYA
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