“
जब भी हातोह मैं मेहँदी करने बैठेती हु तेरा नाम हातोह मैं सजाति हु।
जो नाम निकाह नामा मैं नहीं लिख पाई बों नाम हातोह मैं सजाती हु।
हर अक्षर को बरे प्यार से सजाया हैँ, तुझे आज अपनी मेहँदी मैं छुपाया हैँ।
नसीब ने हाथो के लकीरो मैं जो नाम ना लिखा बों नाम मैं मेहँदी से लिख रही हु।
तू कभी ना मिले तो भी गम नहीं, मैं अपनी नाम तेरा नाम से जोर कर तुझे बिन मांगे भी जी सकती हु।
”