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जब अपनों के...
जब अपनों के...
जब अपनों के...
“
जब अपनों के मिलते कटु वचन
तब मन का शुरू होता है,क्रंदन
लोग इसे ही कहते है,दुःख बंधन
दुःख है,मन का रूठा हुआ बदन
दिल से विजय
”
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