@vijay-kumar-parashar-saakhii

Vijay Kumar parashar "साखी"
Literary General
AUTHOR OF THE YEAR 2019,2021 - WINNER

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सत्यम शिवम सुंदरम छायावादी,व्यंगात्मक,कविता शायरी,कहानी लिखना

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उसको ही जलाती है,ईर्ष्या की आग जिसने दी उसे भीतर जगह,बेहिसाब दिल से विजय

उसको ही जलाती है,ईर्ष्या की आग जिसने दी उसे भीतर जगह,बेहिसाब दिल से विजय

यह जिंदगी भी तो एक खिलौना है। आज हंसना है,तो कल फिर रोना है।। तुझे फिर क्यों चिंताओं को ढोना है। जब हर खिलौने को माटी होना है।। दिल से विजय

कर्म करने के वक्त जो करते,आराम फिर बाद में वो रोते रहते,आठो याम

वो विचार होते है,प्रेरक जो कार्य करते है,बेशक दिल से विजय

जो मिटाते नकारात्मक अंधेरी निशा वो होते प्रेरणादायक विचार चौबीसा जो देखते सकारात्मक विचार शीशा उनके जीवन को मिलती उन्नति दिशा दिल से विजय

चाय पीओ ओर करो चर्चा मिलेगा खुशियों का पर्चा दिल से विजय

उन आंखों के आंसू झरने जैसे मीठे रहते है। जो दूसरों की खुशियों के लिए सदा बहते है।। दरिया भी उनके लिए बस यही बात कहते है। परोपकारी मरकर भी दिलों में जिंदा रहते है।। दिल से विजय

लम्बी अवधि के लिये रखा गया,सब्र आदमी को एकदिन लेकर जाता,अभ्र दिल से विजय


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