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जातिवाद तब तक उचित है जब तक धर्म सुरक्षित हो !
धर्म वाद भी तभी तक उचित है जब तक राष्ट्रवाद सुरक्षित हो !
और अंत में राजनीत वही उचित है जहा इसकी वास्तव में जरुरत हो बाकि अगर मैं अपने प्रोफेशन के लहजे में अगर लिखू तो ..........
"Politics is medicine with very narrow theropatic use & have lot of side effects"
”