“
जाने-जां मेरी जां की ख्वाहिश
तुम्हारे अंग अंग पर चुंबन की है
तुम जानती हो सब जानम
कजरारे नैन सब कहते है
गुलाबी रस भरे लब बस कहते है,आगोश में सिमट आओ
और यह कह न जाओ
घुल जाए तुझमें पिघल पिघल कर,ईक बार बदन से बदन
की मिलन की बात कह दो
जी ले तेरे रंग मे रंग कर।।
⚘रा.जि.कुमार
सासाराम।
”