“
जान हाजिर है इस जहां के लिए,
मेरा हिंदुस्तान मेरा वतन के लिए,
ना जानें कितनों की शहादत हुई,
तब जाकर आजादी कबूल हुई
भगत गुरु सुखदेव ऐसे दीवाने थे,
जो हंसते हंसते फांसी पे झूले थे,
याद करो उनको देश के नौजवानों,
अपनी आजादी को बर्बाद ना करो,
क्योंकि कीमत आजादी की हमने,
अपने पुरखों के लहू से चुकाई है,
तब जाकर आजादी पाई है।।।।।
”