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इश्क़ की...

इश्क़ की गलियों में गुमनाम हम भी हैं , महफ़िल ए बाज़ार के खरीददार हम भी हैं , कोई बता दे मरीज़ ए इश्क़ की दवा यहाँ बीमार हम भी हैं।

By Harsh Singh
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