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हसरतों कि...

हसरतों कि ये दुनिया कभी ख़त्म न होगी, ख्वाहिशों की ये चाहत कभी कम न होगी हमारा क्या है हम तो उस शबनम की तरह है जो आफताब की रौशनी से मिट जाया करते हैं । सबा

By km Saba
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